- लॉर्ड्स टेस्ट में 5 बार बदली गई गेंद, शुभमन गिल और मोहम्मद सिराज ने उठाए सवाल
- जानिए क्यों और कब बदली जाती है टेस्ट मैच में बॉल?
झारखंड बिहार लाइव, रिपोर्टर
भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स में खेले गए हालिया टेस्ट मैच में बार-बार गेंद बदले जाने की घटना ने क्रिकेट जगत में नई बहस को जन्म दे दिया है। इस मैच में भारतीय पारी के दौरान 80 ओवर के बाद ली गई नई गेंद मात्र 10 ओवर में ही खराब हो गई थी, जिसे बदला गया। इसके बाद रिप्लेसमेंट बॉल भी 8 ओवर में डी-शेप हो गई और फिर से बदली गई। इंग्लैंड की पहली पारी में कुल 5 बार गेंदें बदली गईं, जिससे भारतीय कप्तान शुभमन गिल, उप कप्तान ऋषभ पंत और तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज जैसे खिलाड़ी नाराज दिखे।
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बॉल जल्दी खराब क्यों हो रही है, लॉर्ड्स की पिच या बॉल की क्वालिटी?
टेस्ट क्रिकेट में गेंद बदलने के नियम बहुत स्पष्ट हैं। पूर्व BCCI पैनल अंपायर राजीव रिसोड़कर के अनुसार, टेस्ट मैच में चार स्थितियों में गेंद बदली जा सकती है—अगर गेंद खो जाए, खराब हो जाए, उसका आकार बदल जाए या फिर बॉल टैम्परिंग का मामला हो। टैम्परिंग साबित होने पर विपक्षी टीम को 5 रन की पेनल्टी मिलती है और रिप्लेसमेंट गेंद का चयन बल्लेबाज करते हैं।
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गेंद गुम, सिलाई फटी या टैम्परिंग—ये हैं बॉल बदलने की 4 मुख्य वजहें
अंपायर गेंद की स्थिति की जांच हर ओवर के बाद, विकेट गिरने पर और जब गेंद बाउंड्री पार करे तब करते हैं। गेंद के आकार की जांच “गेज टेस्ट” से होती है, जिसमें गेंद को दो अलग-अलग आकार की रिंग्स से पास कराया जाता है। अगर गेंद दोनों से नहीं गुजरती या दोनों से गुजर जाती है, तो वह टेस्ट में फेल मानी जाती है और बदली जाती है।
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जानिए गेज टेस्ट क्या है और अंपायर कैसे तय करते हैं बॉल बदली जाए या नहीं
हर टेस्ट की पारी नई गेंद से शुरू होती है और 80 ओवर पूरे होने के बाद गेंदबाजी टीम नई गेंद की मांग कर सकती है। हालांकि लॉर्ड्स टेस्ट की तरह अगर गेंद समय से पहले ही खराब हो जाए, तो अंपायर उसे बदल सकते हैं। इस प्रक्रिया में गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों टीमों के प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं।
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क्या कप्तान जब चाहे बॉल बदलवा सकता है? जानिए 80 ओवर वाला नियम
रिप्लेसमेंट बॉल फोर्थ अंपायर के पास मौजूद ‘बॉल लाइब्रेरी’ से आती है। इसमें पुरानी बॉल्स को ICC मानकों के अनुसार जांच कर सहेजा जाता है। जरूरत के अनुसार, होस्ट एसोसिएशन या दोनों टीमों से प्रैक्टिस बॉल भी मंगाई जा सकती हैं। इंग्लैंड जैसे देशों में जहां बॉल जल्दी खराब होती है, वहां 20 तक रिप्लेसमेंट बॉल रखी जाती हैं।
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क्या होती है बॉल लाइब्रेरी और कैसे होती है रिप्लेसमेंट बॉल की सेलेक्शन प्रक्रिया?
एक जैसी रिप्लेसमेंट गेंद मिलना लगभग असंभव होता है। अंपायर कोशिश करते हैं कि मौजूदा गेंद की स्थिति के सबसे नजदीक कोई गेंद दी जाए। लॉर्ड्स टेस्ट में भारत ने गेंद बदलने की मांग की, लेकिन उन्हें नई गेंद के बजाय पहले से ज्यादा स्विंग करने वाली पुरानी गेंद मिली, जिससे गेंदबाज नाराज हो गए। इसीलिए गेंद बदलने की मांग रणनीति पर भी असर डाल सकती है।
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क्यों गिल और सिराज हुए नाराज, क्या रिप्लेसमेंट बॉल से हो रहा था नुकसान?
रिप्लेसमेंट गेंद का चयन फील्ड अंपायर करते हैं, और इस प्रक्रिया में बल्लेबाज, गेंदबाज और कप्तान मौजूद होते हैं। हालांकि अगर अंपायर को लगे कि गेंद खराब हो गई है या उसके साथ छेड़छाड़ की गई है, तो वह खुद भी गेंद को बिना किसी टीम की मांग के बदल सकता है। यह निर्णय अंपायर के अधिकार क्षेत्र में आता है।
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क्या अंपायर खुद से बॉल बदल सकते हैं? जानिए उनका अधिकार क्षेत्र
टेस्ट क्रिकेट में उपयोग की गई गेंदों को फेंका नहीं जाता, बल्कि अगली सीरीज़ या टेस्ट मैचों के लिए रिप्लेसमेंट बॉल के रूप में उपयोग किया जाता है। वहीं, हर देश अपने घरेलू टेस्ट मैचों में अपनी पसंदीदा गेंद का इस्तेमाल करता है। भारत में SG, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में ड्यूक, जबकि ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में कूकाबुरा बॉल का इस्तेमाल होता है। विजिटिंग टीम इस पर आपत्ति नहीं जता सकती।