- अदालत ने स्पष्ट किया—अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो मुख्य सचिव समेत तीन शीर्ष अधिकारी 18 अगस्त को कोर्ट में होंगे तलब
- नियुक्ति में देरी से प्रभावित हो रहे हजारों उम्मीदवार, कोर्ट ने जताई चिंता
जेबी लाइव, रिपोर्टर
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस केवी विश्वनाथ और जस्टिस विजय विश्नोई की खंडपीठ में सोमवार को झारखंड में सहायक आचार्य नियुक्ति को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार को 14 अगस्त तक सभी श्रेणियों का परिणाम जारी करने का अंतिम मौका दिया है। कोर्ट ने साफ किया कि अगर इस तारीख तक आदेश का पालन नहीं हुआ तो मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव और जेपीएससी सचिव को 18 अगस्त को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होना होगा। यह अवमानना याचिका परिमल कुमार एवं अन्य की ओर से दाखिल की गई थी।
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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश—नियुक्ति में देरी बर्दाश्त नहीं, शिक्षा व्यवस्था पर पड़ेगा असर
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण और अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने कोर्ट को बताया कि कक्षा 6 से 8 के गणित और विज्ञान के लिए 5008 रिक्तियां थीं, लेकिन केवल 1661 परिणाम ही घोषित किए गए हैं। जबकि 2734 उम्मीदवारों को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया था और उनमें से 400 उम्मीदवारों के दस्तावेजों में कोई त्रुटि नहीं थी। इसके अलावा, कट-ऑफ मार्क्स से ज्यादा अंक लाने के बावजूद कई उम्मीदवारों को दस्तावेज सत्यापन के लिए नहीं बुलाया गया।
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नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल, योग्य अभ्यर्थी रह गए पीछे
राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद कुछ विषयों, जैसे उर्दू, की परीक्षा रद्द कर दी गई थी, जिस कारण देरी हो रही है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट सरकार के इस तर्क से संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट के आदेश से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि 14 अगस्त तक परिणाम घोषित न होने पर अवमानना कार्यवाही होगी। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी 2025 को झारखंड सरकार को एक महीने के भीतर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।