- स्वर्णरेखा और खरकई नदियों में उफान, स्लुइस गेट की विफलता पर उठा सवाल
- सामुदायिक भवनों में लोगों को मिल रही शरण
- संकरी जलधार बनी बाढ़ की वजह, उपायुक्त से सरयू राय ने की बातचीत
जेबी लाइव, रिपोर्टर
शुक्रवार रात हुई तेज बारिश और चांडिल व डिमना डैम के फाटकों के खुलने से जमशेदपुर में स्थिति भयावह हो गई। स्वर्णरेखा और खरकई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे बागबेड़ा, कदमा, सोनारी और जुगसलाई जैसे इलाके पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। करीब 6000 घरों में पानी घुस चुका है और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। राहत की बात यह है कि फिलहाल बारिश थम चुकी है, लेकिन हालात सामान्य होने में समय लगेगा।
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एनडीआरएफ और सिविल डिफेंस ने संभाली राहत की कमान
एनडीआरएफ और जिला प्रशासन राहत व बचाव कार्य में लगातार जुटे हुए हैं। सिविल डिफेंस की टीम ने इस्लामनगर में करीब 50 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रधान सहायक सुरेश प्रसाद, चीफ वार्डेन अरुण कुमार और डिप्टी चीफ वार्डेन दया शंकर मिश्रा शामिल थे। स्वयंसेवकों ने घर-घर जाकर लोगों को भोजन और पानी भी वितरित किया, जिससे बाढ़ पीड़ितों को राहत मिल सकी।
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इस्लामनगर में चला रेस्क्यू ऑपरेशन, 50 लोगों को मिली सुरक्षित जगह
विधायक सरयू राय ने बाढ़ के लिए सीधे तौर पर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अगर स्लुइस गेट समय पर दुरुस्त किए गए होते तो नालों का पानी बस्तियों में नहीं घुसता। टाटा स्टील द्वारा मरीन ड्राइव की ऊंचाई बढ़ाने के बावजूद बस्तियों की सुरक्षा की अनदेखी की गई। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी स्लुइस गेट पर हाईपावर पंपसेट लगाए जाएं ताकि पानी सीधे नदी में डाला जा सके।
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स्लुइस गेट की खराबी से आई मुसीबत, सरयू राय ने जताई नाराजगी
विधायक राय ने कहा कि स्वर्णरेखा और खरकई नदियों की चौड़ाई पहले से काफी कम हो गई है, जिससे जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। दोनों किनारों के सुदृढ़ीकरण ने जलधार को संकरा बना दिया है। उन्होंने उपायुक्त से बातचीत कर सामुदायिक भवनों में ठहरने और भोजन की उचित व्यवस्था सुनिश्चित कराने की मांग की। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि राहत कार्य को प्राथमिकता दी जाएगी।