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Ranchi : पूर्व माओवादी कुंदन पाहन पुलिस पर हमले के मामले में बरी, साक्ष्य के अभाव में अदालत ने सुनाया फैसला

  • 2009 में जोन्हा फॉल के पास पुलिस और माओवादियों के बीच हुई थी मुठभेड़, अब तक कई आरोपित हो चुके हैं बरी

जेबी लाइव, रिपोर्टर

रांची की अपर न्यायायुक्त संजीव झा की अदालत ने पूर्व माओवादी नेता कुंदन पाहन को पुलिस पर हमले के एक पुराने मामले में बरी कर दिया है। अदालत ने यह निर्णय साक्ष्य के अभाव में लिया। मामला 24 अक्टूबर 2009 का है जब पुलिस को सूचना मिली थी कि जोन्हा फाल के पास नक्सली किसी बड़ी वारदात की योजना बना रहे हैं। छापेमारी के दौरान पुलिस और नक्सलियों के बीच गोलीबारी हुई थी, जिसके बाद कुछ हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए थे। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से केवल दो गवाह प्रस्तुत किए गए, जो आरोपों को साबित नहीं कर सके।

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कुंदन पाहन वर्ष 2017 से जेल में बंद हैं, उन्होंने झारखंड पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था। इस मामले में पहले भी कई आरोपी बरी हो चुके हैं। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ईश्वर दयाल ने अदालत में मजबूत दलीलें पेश कीं, जिसके आधार पर कोर्ट ने कुंदन को बरी कर दिया। कुंदन पर झारखंड के विभिन्न जिलों में कई गंभीर मामलों में आरोप लगे थे, लेकिन समय के साथ अनेक मामलों में उन्हें राहत मिलती गई है।

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कुंदन पाहन एक समय झारखंड पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती माने जाते थे। वे भाकपा (माओवादी) के रीजनल कमांडर रहे हैं। उन पर 15 लाख रुपये से अधिक का इनाम घोषित था। उन पर रांची के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या, CRPF और पुलिस पर हमले, लोहरदगा विस्फोट जैसी कई बड़ी घटनाओं में शामिल होने के आरोप थे। लेकिन 2017 में उन्होंने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।

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जेल में रहते हुए कुंदन ने समाज में बदलाव की बात की और युवाओं को माओवाद से दूर रहने का संदेश भी दिया। उन्होंने 2019 में खूंटी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, लेकिन पार्टी टिकट न मिलने के कारण चुनाव नहीं लड़ सके। उन्होंने कहा था कि अब वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए बदलाव लाना चाहते हैं। कुंदन की यह परिवर्तनशील सोच आज भी कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है।

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