- नगर विकास विभाग द्वारा दी गई ₹50 लाख की राशि में की गई लूट
- घटिया और अनुपलब्ध सामानों की खरीद से उजागर हुआ घोटाला
- शेखर सुमन को हटाने की मांग तेज, निष्पक्ष जांच के लिए नागरिकों का आह्वान
जेपी लाइव, रिपोर्टर
सरायकेला नगर पंचायत में प्रशासक शेखर सुमन के कार्यकाल में भ्रष्टाचार की परतें खुलती जा रही हैं। नगर विकास विभाग द्वारा कार्यालय क्षमता संवर्धन के लिए आवंटित ₹50 लाख की राशि का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है। विश्वसनीय सूत्रों और स्थानीय नागरिकों के अनुसार नन-ब्रांडेड, घटिया गुणवत्ता के सामानों की खरीद न केवल कई गुना महंगी दरों पर की गई, बल्कि कई वस्तुएं कभी आपूर्ति ही नहीं हुईं। इससे सरकारी कोष को सीधा नुकसान हुआ है और शासकीय धन की खुली लूटपाट सामने आई है।
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जांच में सामने आया है कि ₹5000 की अलमारी को ₹50000 में, ₹80000 के प्रिंटर को ₹4 लाख में और ₹5000 की कुर्सी को ₹30000 में खरीदा गया। यहां तक कि ₹10000 का सोफा सेट ₹70000 में खरीदा गया जो आज तक कार्यालय में कहीं नजर नहीं आता। इसी तरह ₹25000 प्रति टॉयलेट दरवाजे के भुगतान के बावजूद दरवाजों की आपूर्ति नहीं हुई। ₹25000 की दीवार घड़ी का भी कोई अता-पता नहीं है। इस तरह की तमाम खरीददारी में प्रशासक की सीधी संलिप्तता और संवेदकों से मिलीभगत का आरोप लग रहा है।
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कर्मचारियों ने भी यह स्वीकार किया है कि वे प्रशासक के डर और दबाव में आकर इन अनैतिक कार्यों में भागीदारी कर रहे हैं। कार्यालय का माहौल भय और असुरक्षा से भरा हुआ है। स्थानीय नागरिकों ने उच्चाधिकारियों से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और जांच पूरी होने तक प्रशासक शेखर सुमन को पद से हटाया जाए। यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर गंभीर है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून के पालन के लिए एक अग्निपरीक्षा भी है।